ब्यूटी-पार्लर और प्लेज़र

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यह जो दौर  चल रहा है, इसे कहते हैं सुंदरता का दौर, अपने रूप को और निखारने का दौर  । और इस चैलेंज को सफल बनाने हेतु जिस वाहन का हम प्रयोग करते हैं , वह है ‘ब्यूटी पार्लर’ या ‘सैलून’ ।ऐसा नहीं है कि ये कोई नया आविष्कार है , ये काफ़ी समय से ही प्रचलन में था परन्तु मीडिया के प्रचारों के कारण सजना-सँवरना और खुदको सुन्दर व सुडोल बनाये रखने का चलन हाल-फ़िलहाल का ही है।

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इंट्रोडक्शन तो हो गया पर अगर गौर से सोचें तो क्या ब्यूटी पार्लर लोग बस सुन्दर बनने ही जाते हैं या फिर इस सिक्के का एक और पहलु भी है ? ऐसा क्या है जो हमें वहाँ जाने पे मजबूर करता है ? जब मैं वहाँ जाती हूँ , और उनकी सेवाओं का लाभ उठाती हूँ उस दौरान मैं पार्लर की दीदी से दिलखोल कर बातें भी करती हूँ । दरअसल पार्लर एक ऐसी जगह है जहाँ महिलाएँ अपने अनुभवों, रोज़मररा की बातें , दर्द , गॉसिप्स को शेयर करतीं हैं । इसके अलावा यही एकमात्र जगह है जहाँ महिलाओं की सेवा होती है , खातिरदारी होती है । यहाँ कहीं पर एक क्रेता-विक्रेता का सम्बन्ध, आपसी संपर्क और अपनेपन में तब्दील हो जाता है । वो पार्लर की दीदी और पार्लर में आई हुई महिला एक दोस्त की भाँती अपना दुःख-दर्द व ख़ुशी बाँटते है । और ऐसी जगह जहाँ तन को आराम व मन को शांति मिले उससे ज़्यादा प्लेज़र की बात तो हो ही नहीं सकती । अर्थात ब्यूटी-पार्लर हमारे लब्ज़ों में एक ‘प्लेज़र पॉकेट’ है । जहाँ औरतें प्लेज़र अनुभव करतीं हैं , अपनी दिल को हल्का करतीं हैं , अपनी पीड़ा दूर करतीं हैं ।

हेयर-स्पा , फेसिअल , मैनीक्योर , पेडीक्योर जैसी सेवाओं से जो आराम मिलता है, जो सुकून अनुभव होता है वह लब्ज़ों में बयां नहीं कर सकते ।

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तो आपको क्या लगता है जो कुछ मैंने कहा, क्या ब्यूटी-पार्लर को हम एक प्लेज़र पॉकेट के रूप में देख सकते हैं? सोचिये , पूछिये , जानने की कोशिश कीजिये ।

लेख : आयशा लवली जॉर्ज
फोटो कर्टसी : पल्लवी

We would like to thank Sutapa Majumdar for sharing her work and insights around this topic which influenced this article.

4 comments Add a comment

  1. Good start but we need to explore the parlor space a little deep. Parlor as a space for pleasure is also a space for construction n deconstruction of identity… A space for work and Labour and definitely a space for consumption. May b it will b a good idea to map the consumption pattern within a parlor space…. And yes….pleasure too can b explored!!

    1. Thanks for the inputs Sutapa. We really look forward to your next piece in the series “Parlour and Pleasure”.

  2. काफी अच्छा आर्टिक्ल है, एक अलग सोच सामने आई है। ऐसे विषयों पे और भी लिखिए 🙂

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